बरेली:- भले ही शासन बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा कर रहा हो लेकिन हकीकत इससे जुदा है।सरकारी अस्पतालों में उपचार के नाम पर मरीजों को ठगा जा रहा है। शासन के निर्देशों की जिला अस्पताल के डॉक्टर धज्जियां उड़ा रहे हैं। शुक्रवार को टीम ने जब जिला अस्पताल में पड़ताल की तो पता चला कि ओपीडी में बैठे डाक्टर मरीजों को बाहर से दवाएं लिख रहे हैं। मरीज मजबूरन डाक्टरों की कमीशन खोरी का शिकार हो रहे हैं। वहीं अस्पताल प्रशासन ने इसकी जानकारी नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। जरूरतमंद और गरीब लोग सरकारी अस्पतालों में बेहतर और सस्ता उपचार मिलने की आशा लेकर पहुंचते हैं, लेकिन सरकारी अस्पताल सिर्फ कमीशन खोरी का अड्डा बनकर रह गए हैं। ओपीडी में बैठने वाले डॉक्टर मरीजों को बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। डॉक्टरों की अपनी-अपनी दुकानें हैं। सूत्रों के मुताबिक दवा कंपनियों से मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में डॉक्टर ऐसा कर रहे हैं। ये दवा कंपनियां ब्रांड के नाम पर मरीजों की जेब काट रही हैं। 100 रुपये की दवा मरीज को 1000 रुपये में खरीदनी पड़ रही है। लाल फाटक निवासी शकील ने बताया कि उनके पेट और सीने में जलन व दर्द रहता हैं। ओपीडी नंबर तीन में जैसे तैसे डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने दवाएं लिख दीं, लेकिन डॉक्टर ने जो दवाएं लिखीं वह ना तो अस्पताल में नहीं मिल रही हैं और न ही प्रधानमंत्री जन औषधी केंद्र पर उपलब्ध हैं। कहा जा रहा है कि यह दवा बाहर से ही मिलेगी।
अस्पताल में दवाएं खरीदने पर मरीजों को 30 प्रतिशत तक की छूट मिलती है, लेकिन यहां छूट मिलना तो दूर दवाएं ही उपलब्ध नहीं हैं, लिहाजा मरीजों को बाहर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ी रही हैं। यह प्रकरण तो बस बानगी भर हैं। ऐसे सैकड़ों मरीज बाहर से महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हैं। जीवन रक्षक समेत अन्य दवाओं की किल्लत के चलते मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
“जिला अस्पताल में दवाओं का पर्याप्त स्टॉक मौजूद हैं। चिकित्सकों को सख्त हिदायत दे रखी है कि किसी भी हालत में बाहर की दवा न लिखीं जाएं। कोई भी मामला संज्ञान में नहीं आया है। अगर ऐसा हुआ है तो पता करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” – टीएस आर्या, सीएमएस जिला अस्पताल
“जिले में दवाओं की कमी नहीं है। जिला चिकित्सालय को सीधे लखनऊ से ही दवाओं की सप्लाई होती है। चिकित्सकों की ओर से बाहर की दवा लिखने का प्रकरण अभी तक सामने नहीं आया है। कोई लिखित शिकायत आती है तो दोषियों के खिलाफ जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।” – डा.वीके शुक्ला, सीएमओ
बरेली ब्यूरो:- कपिल यादव